लिखने की कला: डायरी लेखन

CHAIFRY POT

लिखने की कला: भाग -14

9/9/20251 min read

लिखना एक ऐसी कला है, जो शब्दों की बयार से मन का किनारा सजाती है और हृदय के ठिकाने में ज़िंदगी की तह खोलती है। डायरी लेखन इस कला का सबसे अंतरंग रूप है, एक ऐसी किताब, जो सपनों का मोड़ बन जाती है। यह वह जगह है, जहाँ लेखक अपनी आत्मा से गुफ़्तगू करता है, अपनी उलझनों को सुलझाता है, और अपने ख्वाबों को शब्दों में पिरोता है। अमरीकी पत्रकार गेल हैमिल्टन ने कहा, 'किताब के दो आवरण पृष्ठों के बीच जो लेखक डालता है, वह लोक की संपदा है। जो कुछ वह ख़ुद नहीं डालता, निजी संपदा वह है!' डायरी लेखन में यह निजी संपदा ही लेखक के मन की गहराइयों को उजागर करती है और उसे उसकी सच्चाइयों से जोड़ती है। चाहे वह हिंदी की गहरी बातें हों, पंजाबी की मिट्टी से उगी

भावनाएँ हों, या उर्दू की शायरी का नरम रंग हो, डायरी का हर शब्द एक रास्ता है, जो विचारों को बहाकर ज़िंदगी की तह रचता है। यह लेख उस रचनात्मक लौ की कहानी है, जो डायरी के पन्नों में जलती है।

डायरी की दुनिया: मन का किनारा

डायरी लेखन शुरू करना ऐसा है, जैसे सुबह की पहली किरण में मन का किनारा सज जाए। हर शब्द एक बूँद है, और हर वाक्य एक लहर, जो सपनों के मोड़ पर तैरती है। चाहे वह मोटे गत्ते की जिल्द वाली नोटबुक हो, जिसमें साल की 365 तारीखें सजी हों, या डिजिटल स्क्रीन की चमक में लिखा कोई नोट, लेखक सिर्फ़ अक्षर नहीं गढ़ता। वह अपनी स्मृतियों की नरम छुअन और सपनों की अनंत यात्रा को कागज़ पर उतारता है। यह कला हमें उन पलों में ले जाती है, जहाँ हम खुद से रू-ब-रू होते हैं और ज़िंदगी की अनकही बातों को सुनते हैं।

कभी सोचा है कि डायरी का एक पन्ना कितने राज़ समेट सकता है? वह पल, जब लेखक अपने दिन की उलझन को शब्दों में पिरोता है, चाहे वह गाँव की कच्ची गलियों में बिताया एक दिन हो या शहर की चमचमाती सड़कों पर खोया कोई लम्हा। यह वह क्षण है, जब शब्द एक बयार बन जाता है, जो लेखक को उसकी अपनी दुनिया की सैर कराता है। डायरी लेखन मन को आज़ाद करता है, जैसे कोई कवि अपनी पंक्तियों से आत्मा को सजाता है। यह सिर्फ़ रोज़मर्रा की बातें दर्ज करना नहीं है; यह एक आत्मिक मुलाकात है, जो लेखक को उसकी सच्चाइयों, खामोशियों, और ख्वाबों से जोड़ती है।

भारतीय साहित्य: डायरी की गहराई

भारतीय साहित्य ने डायरी लेखन को जीवंत किया है। हरिशंकर परसाई की 'निठल्ले की डायरी' सामाजिक और व्यंग्यात्मक सच्चाइयों को तीखे ढंग से बयान करती है, जो पाठक को अपने समय की सच्चाइयों को डायरी में उतारने के लिए प्रेरित करती है। कैफ़ भोपाली की उर्दू शायरी 'आवारा सजदे' प्रेम और आत्म-चिंतन को कोमलता से व्यक्त करती है, जो भावनाओं को शायरी के रूप में दर्ज करने की प्रेरणा देती है। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की 'कविता के लिए' प्रकृति और मानव जीवन को काव्यात्मक ढंग से बयान करती है, जो पाठक को अपनी डायरी में प्रकृति की सैर दर्ज करने के लिए प्रेरित करती है।

फणीश्वरनाथ रेणु की 'मैला आँचल' ग्रामीण भारत और मानव रिश्तों को यथार्थवादी ढंग से चित्रित करती है, जो ज़िंदगी की कहानियों को डायरी में उतारने की प्रेरणा देती है। कंवरपाल सिंह की पंजाबी रचना 'पंजाब दी मिट्टी' पंजाब की संस्कृति और जड़ों को जीवंत करती है, जो अपनी जड़ों को डायरी में दर्ज करने की प्रेरणा देती है। साहिर लुधियानवी की 'तल्ख़ियाँ' प्रेम और सामाजिक सच्चाइयों को सशक्त ढंग से बयान करती है, जो भावनाओं को डायरी में उतारने की प्रेरणा देती है। विष्णु प्रभाकर की 'आवारा मसीहा' ऐतिहासिक और व्यक्तिगत जीवन को गहराई से बयान करती है, जो अपने समय की कहानियों को डायरी में लिखने की प्रेरणा देती है।

रघुवीर सहाय की 'लोग भूल गए हैं' सामाजिक और आत्म-चिंतन को मार्मिक ढंग से व्यक्त करती है, जो विचारों को डायरी में दर्ज करने की प्रेरणा देती है। मलयज की 'नीड़ का निर्माण' प्रकृति और जीवन को नरम ढंग से बयान करती है, जो प्रकृति की सैर को डायरी में उतारने की प्रेरणा देती है। मुंशी प्रेमचंद की 'गोदान' सामाजिक और व्यक्तिगत उलझनों को यथार्थवादी ढंग से चित्रित करती है, जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी को डायरी में उतारने की प्रेरणा देती है। नानक सिंह की 'चित्रलेखा' पंजाब की मिट्टी और प्रेम को जीवंत करती है, जो अपनी जड़ों को डायरी में दर्ज करने की प्रेरणा देती है। प्रकाशचंद्र गुप्त की 'हिंदी साहित्य का इतिहास' साहित्यिक चिंतन को गहराई से बयान करती है, जो लेखनी को डायरी में सँवारने की प्रेरणा देती है।

डायरी का महत्व: ऐनी फ्रैंक और भारतीय संदर्भ

ऐनी फ्रैंक की डायरी, 'द डायरी ऑफ़ अ यंग गर्ल', 1942 से 1944 तक एम्स्टर्डम में नाज़ी अत्याचारों के बीच छुपकर लिखी गई थी। ऐनी ने अपने तेरहवें जन्मदिन पर मिली डायरी में अपने निजी अनुभव, डर, और सपने दर्ज किए। 1947 में उनके पिता द्वारा प्रकाशित यह डायरी बीसवीं सदी की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में से एक है। रूसी लेखक इल्या इहरनबुर्ग ने कहा, यह साठ लाख लोगों की आवाज़ है, एक साधारण लड़की की आवाज़, जो इतिहास के भयावह दौर का दस्तावेज़ बन गई। यह डायरी हमें सिखाती है कि डायरी निजी सत्यों को संजोती है और सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास को उजागर करती है।

भारतीय साहित्य में डायरी लेखन की समृद्ध परंपरा रही है। मोहन राकेश की 'मोहन राकेश की डायरी' उनके निजी जीवन और साहित्यिक चिंतन का नायाब दस्तावेज़ है। रमेशचंद्र शाह की 'रमेशचंद्र शाह की डायरी' साहित्यिक विचारों और व्यक्तिगत अनुभवों का अनूठा मेल है। रामवृक्ष बेनीपुरी की 'पैरों में पंख बाँधकर' और राहुल सांकृत्यायन की 'रूस में पच्चीस मास' यात्रा-वृत्तांत के रूप में डायरी की शक्ल में लिखी गई हैं। सेठ गोविंददास की 'सुदूर दक्षिण पूर्व', कर्नल सज्जन सिंह की 'लद्दाख यात्रा की डायरी', और डॉ. रघुवंश की 'हरी घाटी' यात्रा-डायरी के बेहतरीन उदाहरण हैं। गजानन माधव मुक्तिबोध की 'एक साहित्यिक की डायरी' साहित्यिक समस्याओं और चिंतन को गहराई से बयान करती है, जो साहित्यिक विचारों को डायरी में दर्ज करने की प्रेरणा देती है।

डायरी लेखन कोई साहित्यिक विधा नहीं है, बल्कि नितांत निजी स्तर पर घटित घटनाओं और भावनाओं का लेखा-जोखा है। फिर भी, इसका सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व हो सकता है। डायरी हमें उन बातों को कहने की आज़ादी देती है, जो हम दुनिया के सामने नहीं कह सकते। यह एक ऐसा संवाद है, जिसमें हम सभी वर्जनाओं से मुक्त होकर खुद को बेहतर समझ पाते हैं।

डिजिटल युग में डायरी लेखन

आज का ज़माना डिजिटल लेखन का है, और डायरी लेखन अब ब्लॉग, ऑनलाइन जर्नल्स, और सोशल मीडिया के ज़रिए दुनिया भर में साझा हो रहा है। डिजिटल मंचों ने डायरी लेखन को न सिर्फ़ व्यक्तिगत बनाए रखा है, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर साझा करने का रास्ता भी दिखाया है। यहाँ कुछ सुझाव हैं:

  1. अपने अनुभवों को संजोएँ: रोज़मर्रा की बातें ब्लॉग या ऑनलाइन जर्नल में साझा करें। हरिशंकर परसाई की तरह अपनी ज़िंदगी की सच्चाइयों को डायरी में पकड़ें।

  2. भावनाओं को शब्दों में ढालें: अपनी डायरी में भावनाओं को कविता, शायरी, या छोटी कहानियों के रूप में लिखें और सोशल मीडिया पर साझा करें, जैसे कैफ़ भोपाली ने अपनी शायरी से दिलों को छुआ।

  3. नए माध्यम तलाशें: ऑनलाइन जर्नल्स, ब्लॉग्स, या इंस्टाग्राम रील्स जैसे माध्यमों से अपनी डायरी की बातें प्रस्तुत करें। साहिर लुधियानवी की तरह अपनी शायरी को नए रूप में ढालें।

  4. साहित्यिक समुदाय से जुड़ें: ऑनलाइन लेखन समूहों में हिस्सा लें, जहाँ आप विचार साझा कर सकें। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की तरह अपने विचारों को गहराई दें।

  5. लिखने की आदत बनाएँ: हर दिन कुछ नया लिखें। फणीश्वरनाथ रेणु की तरह सादगी में गहराई तलाशें।

  6. खुद से बेबाक रहें: डायरी को सिर्फ़ अपने लिए लिखें, जैसे ऐनी फ्रैंक ने किया। अपनी भाषा को सहज और स्वाभाविक रखें।

  7. इतिहास को दर्ज करें: अपने समय की सच्चाइयाँ लिखें, जैसे मोहन राकेश ने अपने दौर को दर्ज किया। यह आपकी डायरी को सामाजिक दस्तावेज़ बनाएगा।

डायरी लेखन की युक्तियाँ

डायरी लेखन अपने साथ एक अच्छी दोस्ती कायम करने का ज़रिया है। यहाँ कुछ युक्तियाँ हैं:

  • सहजता चुनें: किसी नोटबुक या पुराने साल की डायरी में लिखें, जहाँ आप अपनी सुविधा से तारीखें डाल सकें। मोहन राकेश की तरह बेबाकी से लिखें।

  • खुद से संवाद करें: यह सोचें कि आप क्या महसूस करते हैं और क्या कहना चाहते हैं। ऐनी फ्रैंक ने अपने डर और सपनों को बिना डर के लिखा, और यही उसकी ताकत थी।

  • निजी रखें: डायरी को सिर्फ़ अपने लिए लिखें। रमेशचंद्र शाह की तरह इसे नितांत निजी रखें।

  • भाषा में स्वाभाविकता लाएँ: परिष्कृत भाषा की ज़रूरत नहीं। गजानन माधव मुक्तिबोध की 'एक साहित्यिक की डायरी' की सहजता इसकी ख़ूबसूरती है।

  • अपने समय का अक्स बनाएँ: अपने अनुभवों के साथ-साथ अपने दौर की सच्चाइयाँ दर्ज करें। राहुल सांकृत्यायन की 'रूस में पच्चीस मास' की तरह, आपकी डायरी आपके समय का दस्तावेज़ बन सकती है।

डायरी लेखन का भविष्य

डायरी लेखन की कला समय के साथ बदलती है, लेकिन इसका रास्ता कभी बंद नहीं होता। हरिशंकर परसाई से कैफ़ भोपाली, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना से मुंशी प्रेमचंद तक, हर लेखक ने दिखाया है कि डायरी लेखन शब्दों की बयार से आत्मा को जोड़ती है। ऐनी फ्रैंक की डायरी सिखाती है कि एक साधारण आवाज़ भी इतिहास बयान कर सकती है। मोहन राकेश और रमेशचंद्र शाह ने दिखाया कि डायरी निजी चिंतन को संजोती है और समाज को आईना दिखाती है।

डायरी लेखन का भविष्य आपकी कलम में है। चाहे वह ब्लॉग हो या निजी डायरी, आपके शब्द ज़िंदगी को नया रंग दे सकते हैं। कैफ़ भोपाली की तरह प्रेम को शायरी में पकड़ें, या हरिशंकर परसाई की तरह सच्चाइयों को उतारें। अगली बार जब आप डायरी खोलें, याद रखें, आप एक ऐसी दुनिया रच रहे हैं, जहाँ शब्दों की बयार और हृदय का ठिकाना हर आत्मा को अपनी ओर खींचता है। लिखते रहें, क्योंकि यही कला हमें अपने आप से जोड़े रखती है।