भीषण गर्मी का संकट: बच्चों और समाज पर जलवायु आपदा की मार
WEB'S ON FIRE
Chaifry
5/18/20251 min read
भीषण गर्मी का कहर: बच्चों और समाज पर जलवायु संकट की मार
आज, 18 मई 2025 को, दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया—भारत, थाईलैंड, वियतनाम—के लोग सूरज की आग में तप रहे हैं। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस (113 डिग्री फारेनहाइट) को पार कर चुका है, और हवा ऐसी लग रही है जैसे कोई भट्टी सांस ले रही हो। थाईलैंड और वियतनाम में भी हालात बदतर हैं। स्कूल बंद हैं, बच्चे घरों में कैद हैं, और किसानों की फसलें राख हो रही हैं। यह गर्मी सिर्फ मौसम की मार नहीं, बल्कि जलवायु संकट की चीख है, जो नवंबर 2025 में अजरबैजान में होने वाले COP29 सम्मेलन में दुनिया के सामने गूंजेगी।
भारत में, दिल्ली और जयपुर जैसे शहरों में पारा 47 डिग्री तक पहुंच गया है। थाईलैंड के बैंकॉक में 44 डिग्री की गर्मी ने बिजली की मांग को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया। वियतनाम में, नदियों और तालाबों का पानी सूखने से मछलियां मर रही हैं, जिससे खाद्य संकट का खतरा मंडरा रहा है। विश्व मौसम संगठन (WMO) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की यह गर्मी पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ रही है। वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि अगर कार्बन उत्सर्जन को जल्दी नहीं रोका गया, तो ऐसी गर्मी हर गर्मी का सच बन जाएगी।
बच्चों और समाज पर गहरा आघात
यह गर्मी दुनिया भर के बच्चों और समाजों को तोड़ रही है। भारत, थाईलैंड, और वियतनाम में लाखों स्कूल बंद हो गए हैं। बच्चे पढ़ाई से दूर हैं, और गरीब परिवारों के बच्चे स्कूल छोड़ने की कगार पर हैं। यूनिसेफ की मई 2025 की रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण एशिया के 65.9 करोड़ बच्चे गर्मी, बाढ़, या तूफान जैसे जलवायु खतरों का सामना कर रहे हैं। गर्मी से बच्चों को हीटस्ट्रोक, सांस की बीमारियां, और डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ गया है। कई बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, क्योंकि फसलों के नष्ट होने से खाने की कमी हो रही है।
दुनिया भर में समाज इस संकट की चपेट में हैं। अफ्रीका के सूखाग्रस्त इलाकों में भुखमरी फैल रही है, क्योंकि अनाज की कीमतें आसमान छू रही हैं। एशिया और अफ्रीका में मजदूर और किसान गर्मी में काम नहीं कर पा रहे, जिससे उनकी आजीविका छिन रही है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में भी गर्मी की लहरें बच्चों को बीमार कर रही हैं। शरणार्थी शिविरों में रहने वाले बच्चे, जो पहले ही युद्ध या गरीबी की मार झेल रहे हैं, अब गर्मी की तपिश में जल रहे हैं। यह संकट ऐसा है, जैसे पूरी दुनिया एक तपते रेगिस्तान में बदल रही हो।
COP29 और उम्मीद की किरण
नवंबर 2025 में अजरबैजान के बाकू में COP29 सम्मेलन होगा, जहां दुनिया के नेता जलवायु संकट पर निर्णायक कदम उठाने की कोशिश करेंगे। युवा कार्यकर्ता, जैसे भारत की 16 साल की अनन्या सिंह, जो COP29 में हिस्सा ले रही हैं, कहती हैं, “हमारे बच्चे गर्मी में जल रहे हैं। हमें साफ ऊर्जा और हरियाली चाहिए, वरना हमारा भविष्य राख हो जाएगा।” वे मांग कर रहे हैं कि सरकारें बच्चों की सेहत और शिक्षा को प्राथमिकता दें और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता खत्म करें।
COP29 से पहले, देशों ने विकासशील राष्ट्रों के लिए $300 बिलियन की जलवायु सहायता का वादा किया है, लेकिन विशेषज्ञ इसे नाक मानते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य अब मुश्किल होता जा रहा है। अगर हम असफल हुए, तो गर्मी, बाढ़, और तूफान बच्चों के लिए और खतरनाक हो जाएंगे। फिर भी, सौर और पवन ऊर्जा जैसे समाधानों और युवाओं की आवाज से उम्मीद बंधती है।
अब हमारी बारी
18 मई 2025 का यह दिन हमें याद दिलाता है कि जलवायु संकट इंतजार नहीं करता। बच्चों की हंसी, उनकी पढ़ाई, और उनके सपने बचाने के लिए हमें अभी कदम उठाने होंगे। सौर ऊर्जा को अपनाएं, पेड़ लगाएं, पानी बचाएं, और प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करें। सोशल मीडिया, न्यूज चैनल, और अखबारों के जरिए इस संकट की बात फैलाएं। अपने बच्चों के लिए, अपने समाज के लिए, और अपनी धरती के लिए, हमें एकजुट होना होगा। क्योंकि अगर हम चुप रहे, तो यह गर्मी हमारे बच्चों का भविष्य जला देगी।