यूक्रेन-रूस युद्ध: खारकीव में आग, दुनिया के बच्चों पर छाया संकट
WEB'S ON FIRE
Chaifry
5/18/20251 min read
यूक्रेन-रूस युद्ध: खारकीव में आग, दुनिया के बच्चों पर छाया संकट
खारकीव, यूक्रेन का एक शहर, जहां कभी बच्चे पार्कों में खेलते थे और स्कूलों में किताबों की खनक गूंजती थी, आज बमों की गड़गड़ाहट से कांप रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब और भयानक हो गया है। रूसी सेना ने खारकीव और इसके आसपास के इलाकों पर हमले तेज कर दिए। आसमान से मिसाइलें बरस रही हैं, और जमीन पर टैंकों की धमक से घर हिल रहे हैं। हजारों लोग, जिनमें नन्हे बच्चे और उनके परिवार शामिल हैं, अपने घर छोड़कर भाग रहे हैं, जैसे कोई बुरा सपना उनकी जिंदगी निगलने आ गया हो। यूक्रेन की सेना रात-दिन रूसी हमलों का जवाब दे रही है, लेकिन रूस का दबाव कम नहीं हो रहा। खारकीव के घर, स्कूल, और अस्पताल बमों की चपेट में हैं। बच्चे डर से सहमे हुए हैं, उनकी आंखों में खेल की जगह खौफ बस गया है। मां-बाप अपने बच्चों को गोद में लिए आश्रय स्थलों में रात काट रहे हैं, जहां न गर्म कपड़े हैं, न पर्याप्त खाना। एक मासूम बच्चे ने पत्रकारों से कहा, “मैं बस चाहता हूं कि बम बंद हो जाएं और मैं फिर से स्कूल जाऊं।”
दुनिया के बच्चों और समाज पर गहरा असर
यह युद्ध सिर्फ यूक्रेन की धरती पर नहीं लड़ा जा रहा, इसका धुआं दुनिया के हर कोने में फैल रहा है। यूक्रेन और रूस अनाज और तेल के बड़े स्रोत हैं। युद्ध ने इनकी सप्लाई रोक दी है, जिससे दुनिया भर में खाने और ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं। गरीब देशों में बच्चे भूखे पेट सो रहे हैं, क्योंकि उनके माता-पिता के पास रोटी खरीदने के पैसे नहीं हैं। अफ्रीका और एशिया के कई देशों में स्कूल बंद हो रहे हैं, क्योंकि सरकारें खाने की किल्लत से जूझ रही हैं। बच्चे, जो दुनिया का भविष्य हैं, इस युद्ध की सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं। युद्ध का असर सिर्फ भूख तक नहीं है। यूरोप में लाखों यूक्रेनी शरणार्थी, जिनमें आधे से ज्यादा बच्चे हैं, नए देशों में जिंदगी शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। वे अनजान भाषा, अनजान चेहरों के बीच स्कूलों में दाखिल हो रहे हैं, लेकिन उनके दिल में अपने घर की याद और युद्ध का डर बस्ता है। समाज टूट रहे हैं, परिवार बिखर रहे हैं। एक मां ने रोते हुए कहा, “मेरा बेटा अब रात को सोता नहीं, उसे हर आवाज में बम सुनाई देता है।”
शांति की एक किरण?
दुनिया इस आग को बुझाने की कोशिश में है। संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने युद्धविराम की अपील की है। अमेरिका ने 30 दिन के लिए जंग रोकने का प्रस्ताव रखा, लेकिन रूस ने इसे खारिज कर दिया। फिर भी, दुनिया भर के लोग, खासकर बच्चे, शांति की मांग कर रहे हैं। स्कूलों में बच्चे चिट्ठियां लिख रहे हैं, सड़कों पर शांति मार्च हो रहे हैं। एक छोटी बच्ची ने अपने चित्र में दो देशों के झंडे बनाए और लिखा, “हम सब दोस्त बन सकते हैं।” यह युद्ध हमें याद दिलाता है कि जंग की आग में सबसे ज्यादा जलते हैं मासूम बच्चे और उनके सपने। खारकीव की सड़कों पर बिखरा मलबा और दुनिया भर के बच्चों की भूखी आंखें एक ही कहानी कहती हैं। हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन बच्चों को एक सुरक्षित कल दें। न्यूज चैनल, अखबार, और सोशल मीडिया पर इस कहानी को शेयर करें। शायद हमारी आवाज उन तक पहुंचे, जो इस युद्ध को रोक सकते हैं। आखिर, हर बच्चे की मुस्कान में ही दुनिया की असली रोशनी छिपी है।