कावेरी की लहरों में बसी तमिलनाडु की आत्मा
CHAIFRY POT
Chaifry
6/10/2025
तमिलनाडु के तंजावुर में, जहां कावेरी नदी की लहरें किनारों से टकराकर एक मधुर संगीत रचती हैं, वहां प्राचीन मंदिरों की छाया में, नीम की छांव में, तमिल संस्कृति और प्रकृति का एक अनूठा मेल जीवंत हो उठता है। कावेरी सिर्फ नदी नहीं, इस धरती की मां है, जो जीवन देती है, पर उसका रौद्र रूप सबक भी सिखाता है। उसकी लहरों में तंजावुर की आत्मा बसती है, जहां प्राचीन मंदिरों की नक्काशी हर पत्थर में गाथाएं कहती है, भरतनाट्यम की लयबद्ध थाप हवा में गूंजती है, और चावल के खेतों की हरियाली सूरज की किरणों में चमकती है। कावेरी की धारा में तमिल साहित्य की गहराई, मंदिरों की भक्ति, और खेतों की मेहनत समाई है, जो हर पल को एक जीवंत चित्र बनाती है।
तंजावुर की सुबह एक अलौकिक नजारा है। सूरज की पहली किरणें कावेरी के पानी पर सुनहरी चादर बिछाती हैं, और मंदिरों की घंटियां हवा में भक्ति का राग छेड़ती हैं। खेतों में किसान भोर की ओस में फावड़ा लेकर निकलते हैं, उनके कंधों पर परिवार की उम्मीदें टिकी हैं। चावल की बालियां हवा में लहराती हैं, और मिट्टी की सोंधी गंध हवा में फैलती है। आंगनों में तुलसी का पौधा पवित्रता का प्रतीक बनकर खड़ा है, और मिट्टी के चूल्हों पर नए चावल की खिचड़ी पकती है, जिसकी खुशबू घरों को महकाती है। गलियों में बच्चे मिट्टी से खेलते हैं, उनकी हंसी कावेरी की लहरों के साथ ताल मिलाती है। मछुआरे अपनी नावों को नदी की धारा में छोड़ते हैं, और उनकी मेहनत हर लहर के साथ एक गीत बुनती है।
कावेरी की लहरें तंजावुर की सांस्कृतिक धड़कन हैं। प्राचीन मंदिरों की नक्काशी, जहां हर पत्थर पर देवताओं की गाथाएं उकेरी हैं, तमिलनाडु की समृद्ध परंपरा को जीवंत करती हैं। भरतनाट्यम की नर्तकियां मंदिरों के प्रांगण में नृत्य करती हैं, उनके घुंघरुओं की छनक हवा में तैरती है, और हर ताल में तमिल संस्कृति की लय गूंजती है। तमिल साहित्य की गहराई, तिरुक्कुरल की शिक्षाओं से लेकर कंबन की रामायण तक, हर शब्द में कावेरी की लय समाई है। मंदिरों में सुबह की प्रार्थनाएं भक्तों के दिलों को छूती हैं, और दीये की रोशनी कावेरी की लहरों पर तैरती है, मानो नदी स्वयं भक्ति में डूब गई हो।
पोंगल का उत्सव तंजावुर की आत्मा को रंग देता है। गांववाले नए चावल की फसल की खुशी में मिट्टी के बर्तनों में दूध उबालते हैं, और उसकी उफनती धारा को देखकर हर्षोल्लास से झूम उठते हैं। आंगनों में रंगोली की कोलम कला खिलती है, और हर रेखा में तमिलनाडु की परंपरा झलकती है। बच्चे नए वस्त्र पहनकर मेलों में दौड़ते हैं, जहां मिट्टी के खिलौने, बांस की टोकरियां, और इडली-डोसे की सोंधी खुशबू हवा में घुलती है। ढोल की थाप और लोकगीतों की मधुरता हर दिल को नचाती है। दीपावली की रात में मिट्टी के दीये हर घर को रोशन करते हैं, और आतिशबाजी आसमान को रंग देती है। करगम नृत्य की लय और कोलाट्टम की ताल गांवों को जीवंत करती है, और कावेरी की लहरें इन उत्सवों की गवाह बनती हैं।
कावेरी का किनारा तंजावुर की हर धड़कन को थामे है। नदी के घाट पर औरतें कपड़े धोती हैं, और उनकी कंगनों की खनक लहरों के साथ ताल मिलाती है। बच्चे नदी में छींटे उड़ाते हैं, और उनकी हंसी हवा में तैरती है। मछुआरे अपनी नावों को धारा में छोड़ते हैं, और उनकी मेहनत मछलियों की चमक में झलकती है। घाट की सीढ़ियों पर सूरज की पहली किरण पानी को सुनहरा करती है, और हर शाम दीये नदी की सतह पर तैरते हैं, मानो कावेरी स्वयं इन प्रार्थनाओं को सुन रही हो। छोटे मंदिरों में भक्त अपनी मन्नतें मांगते हैं, और तुलसी का पौधा हर आंगन में पवित्रता का प्रतीक बनकर खड़ा है।
तंजावुर की खेतों की हरियाली कावेरी की देन है। चावल की फसलें हवा में लहराती हैं, और किसानों की मेहनत मिट्टी को जीवन देती है। सुबह की ओस में धान की बालियां मोतियों सी चमकती हैं, और बारिश की बूंदें खेतों को सींचती हैं। औरतें खेतों में गीत गुनगुनाती हैं, और उनकी आवाजें कावेरी की लहरों के साथ मिलती हैं। तालाबों में कमल के फूल खिलते हैं, और उनकी सुंदरता तंजावुर की आत्मा को दर्शाती है। कोंगु क्षेत्र की कपास की फसलें और तंजावुर की मूंगफली की खेती इस धरती की मेहनत की गवाही देती हैं।
पर कावेरी की लहरें सिर्फ जीवन और उमंग नहीं लातीं। सूखे की त्रासदी खेतों को बंजर छोड़ देती है, और किसानों की मेहनत को व्यर्थ कर देती है। कावेरी का पानी जब कम पड़ता है, तो खेत प्यासे रह जाते हैं, और किसानों की आंखों में आंसू छिप जाते हैं। माएं अपने बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने की जद्दोजहद में रात-रात जागती हैं। आधुनिकता की चमक पुरानी परंपराओं को धुंधला कर रही है, और युवा अपनी जड़ों को छोड़कर शहरों की ओर भाग रहे हैं। मंदिरों के प्रांगण में अब पहले जैसी भीड़ नहीं जुटती, और तालाब, जो कभी कमल के फूलों से भरे थे, अब सूखकर मरुभूमि बन गए हैं। कावेरी की मछलियां प्रदूषण की मार झेल रही हैं, और मछुआरों की नावें खाली लौटती हैं। स्कूलों में बच्चे टूटी बेंचों पर बैठकर सपने देखते हैं, लेकिन किताबों और शिक्षकों की कमी उनके सपनों को अधूरा छोड़ देती है।
तंजावुर की आत्मा कावेरी की लहरों में जीवित रहती है। सूखे के बाद भी किसान खेतों को फिर से हरा करते हैं, और उनकी मेहनत फसलों को जीवन देती है। मछुआरे प्रदूषण के बावजूद नदी की ओर निकलते हैं, और उनकी हिम्मत लहरों से जूझती है। पोंगल की रात में गांववाले फिर से रंगोली बनाते हैं, और मिट्टी के बर्तनों में दूध उबालते हैं। भरतनाट्यम की नर्तकियां मंदिरों में नृत्य करती हैं, और उनके घुंघरुओं की छनक तंजावुर की आत्मा को जीवंत करती है। मेलों में फिर से रौनक लौटती है, और इडली-डोसे की खुशबू हवा में तैरती है। बच्चे पतंग उड़ाते हैं, और उनकी हंसी कावेरी की लहरों के साथ मिलती है।
कावेरी की लहरें तंजावुर की हर धड़कन को थामे हैं। घाट पर औरतें अपनी मन्नतें मांगती हैं, और नौजवान नदी के किनारे अपने सपनों को साझा करते हैं। मंदिरों में पुजारी मंत्रों के साथ सूरज का स्वागत करते हैं, और बच्चे कावेरी के किनारे मिट्टी के घर बनाते हैं। तमिल लोककथाएं दादी-नानी की आवाज में बच्चों को सुनाई जाती हैं, और हर कथा में कावेरी की लहरों की गूंज बसती है। तंजावुर की गलियों में साइकिलों की घंटियां बजती हैं, और मेलों में मिट्टी के खिलौने बिकते हैं। पंचायत में गांववाले अपने झगड़ों को सुलझाते हैं, और स्कूल के मैदान में बच्चे क्रिकेट खेलते हैं, जहां हार-जीत में हंसी की गूंज सुनाई देती है।
कावेरी की लहरें तमिलनाडु की आत्मा को जीवंत करती हैं। मंदिरों की नक्काशी, भरतनाट्यम की लय, और चावल के खेतों की हरियाली एक अनमोल चित्र रचती हैं। तमिल साहित्य की गहराई, कोलम की कला, और लोकगीतों की मधुरता तंजावुर की धड़कन बनती हैं। कावेरी की धारा हर घर को जोड़ती है, और हर दिल को भक्ति से भर देती है। मेलों में इडली-डोसे की खुशबू, पोंगल की रंगोली, और दीपावली की रोशनी तमिलनाडु की आत्मा को रंग देती हैं। कावेरी की लहरें हर सुख-दुख को अपनी गोद में समेटती हैं, और हवा में तमिल की लयबद्धता तैरती है।
तंजावुर की आत्मा कावेरी की लहरों में बसती है। नदी का किनारा वह जगह है, जहां गांववाले अपने सपने साझा करते हैं, और मंदिरों में प्रार्थनाएं गूंजती हैं। घाट की सीढ़ियों पर सूरज की किरणें पानी को सुनहरा करती हैं, और हर शाम दीये नदी की सतह पर तैरते हैं। तमिलनाडु की आत्मा कावेरी की लहरों में थिरकती है, और हर लहर में उसकी सांस्कृतिक गहराई गूंजती है। यह धरती वह जगह है, जहां हर पल में एक धड़कन बसती है, और हर धड़कन में कावेरी का संगीत सुनाई देता है।
“Your beautiful write up on the Kaveri waters brings back some old bitter memories from the early 90's if I remember correctly my university days. Originating at Talakaveri in Karnataka’s Western Ghats the Kaveri flows through Karnataka and Tamil Nadu to the Bay of Bengal. It fuels irrigation drinking water hydroelectric power and anchors cultural festivals. Long-standing water-sharing disputes have embroiled state and central governments. Lawmakers exploit the issue fomenting regional divides stalling tribunal decisions and promising local projects for electoral advantage." MARK DESOUZA: Thu Jun 12 2025 06:19:36 GMT+0530 (India Standard Time)